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Multilayer Farming

इस फार्मिंग के जरिये एक स्थान पर विभिन्न फसल उगा सकते हैं

इस फार्मिंग के जरिये एक स्थान पर विभिन्न फसल उगा सकते हैं

मल्टीलेयर फार्मिंग(Multilayer Farming) में एक स्थान पर विभिन्न फसलों का उत्पादन किया जा सकता है। किसान सोच समझ के फसलों का चयन कर काफी कम भूमि में से भी लाखों रुपये की आमंदनी कर सकते हैं। कृषि देश की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है, क्योंकि देश की बहुत बड़ी जनसँख्या कृषि पर ही आश्रित रहती है। किसानों को अच्छी आय वाली खेती के लिए कृषि विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक अपने-अपने स्तर से शोध करते रहते हैं। एक खेती में ही अन्य फसल का भी उत्पादन कर किसान दोगुना मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। परंतु आज हम आपको उस खेती के सम्बन्ध में जानकारी देने वाले हैं। जिसके अंतर्गत एक, दो नहीं कृषि की विभिन्न परतें (Layer) होती हैं। सभी परतों पर फसल उत्पादन कर अच्छा खासा मुनाफा अर्जित किया जा सकता है। इसलिए ही इसका नाम मल्टीलेयर फार्मिंग (Multilayer Farming) है। मल्टीलेयर फार्मिंग(Multilayer Farming), नाम से ही पता चलता है, कि एक ही जगह पर विभिन्न प्रकार की खेती करना। इसमें 3, 4 ही नहीं 5 प्रकार की कृषि भी की जा सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसमें मृदा के प्रयोग को देखा जाता है। हालाँकि कुछ फसलें भूमि के अंदर दबी हों, कुछ ऊपर, कुछ अधिक बड़े स्तर पर एवं कुछ अन्य किस्मों की कृषि की जा सकती है। फसल चक्र के संदर्भ में बात करें तो कुछ कम, कुछ मध्यम एवं कुछ पकने में ज्यादा वक्त लगा सकती हैं।


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मल्टीलेयर फार्मिंग (Multilayer Farming) में फसलों का बेहतर चुनाव करने में सतर्कता अत्यंत आवश्यक है। प्रथम परत में बड़े पौधे लगाने पर अन्य परत खराब हो जाएंगी। विशेषज्ञों ने बताया है, कि पहली परत में छोटे पौधे के रूप में अदरक एवं हल्दी का उत्पादन कर सकते हैं। दूसरी परत में भी कम ऊंचाई एवं कम गहराई साग-सब्जियों की फसलों का चुनाव करें। तीसरी परत में बड़े पेड या पौधे, पपीता अथवा अन्य फलदार पौधे उगाये जा सकते हैं। चौथी परत में किसी भी बेल फसल उगा सकते हैं। यह पोषक तत्व भूमि से लेती रहेगी, परंतु इसका विस्तार अत्यधिक सीमित होगा।

क्यों आवश्यक है, मल्टीलेयर फार्मिंग का परीक्षण

मल्टीलेयर फार्मिंग (Multilayer Farming) से उचित मुनाफा अर्जित करने हेतु इसका प्रशिक्षण लेना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए कृषि विशेषज्ञ अथवा कृषि वैज्ञानिक या फिर किसी कृषि अधिकारी से सलाह ली जा सकती है। दरअसल, फसलों के उत्पादन हेतु पर्यावरण का अनुकूल होना अति आवश्यक है। देश के भिन्न-भिन्न राज्यों में तापमान अलग अलग रहता है। ऐसे में जिस स्थान पर मल्टीलेयर फार्मिंग की जाए, वहाँ फसलों का बेहतर चुनाव उसी के अनुकूल हो, इससे किसान 4 से 5 गुना अधिक बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

मल्टीलेयर फार्मिंग छत पर भी कर सकते हैं।

मल्टीलेयर फार्मिंग (Multilayer Farming) भूमि ही बल्कि छत पर भी उत्पादित की जा सकती है, परंतु इसके उत्पादन हेतु छत पर भूमि की तरह अवस्था निर्मित होगी। देसी खाद युक्त मृदा की मोटी परत छत पर बिछा दीजिए। अगर पौधे ज्यादा गहराई वाले हैं, तो मृदा की परत एवं ज्यादा मोटी हो। बैंगन, टमाटर, भिंडी, गाजर, मूली, पालक आदि फसलें छत पर उत्पादित की जा सकती हैं।


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इसके अंतर्गत 70 प्रतिशत कम जल की आवश्यकता है।

मल्टीलेयर फार्मिंग (Multilayer Farming) का विशेष फायदा यह है, कि इसमें जल की न्यूनतम आवश्यकता होती है। दरअसल, एक ही मृदा की परत में समस्त फसलें उगायी जाती हैं। जब एक फसल को जल दिया जाता है, तो अन्य फसलों की भी सिंचाई हो जाती है। इस प्रकार लगभग 70 फीसदी कम जल की आवश्यकता होती है।
किसान ने फसल का संरक्षण करने के लिए तैयार किया अनोखा स्ट्रक्चर

किसान ने फसल का संरक्षण करने के लिए तैयार किया अनोखा स्ट्रक्चर

मध्य प्रदेश के एक किसान ने एक स्ट्रक्चर तैयार किया है, जिसके माध्यम वह स्वयं की फसल को आंधी-तूफान से संरक्षित कर सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं इस स्ट्रक्चर पर ओले एवं पाले का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। क्षेत्र के बाकी कृषक भी इस स्ट्रक्चर को खूब पसंद कर रहे हैं। एक कहावत है, कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। ये कहावत मध्य प्रदेश के सागर के युवा किसान आकाश चौरसिया पर पूर्णतय फिट बैठती है। उन्होंने अपनी फसल को मौसम की मार से संरक्षण के लिए एक अद्भुत फार्मूला इजात कर डाला है। समीपवर्ती क्षेत्र के किसान भी उनकी इस तरकीब को खूब पसंद किया जा रहा है। साथ ही, उनसे इस बारे में प्रशिक्षण लेने भी पहुंच रहे हैं। इस युवा किसान के द्वारा खोजे गए फार्मूले की वजह से किसी भी फसल को तेज आंधी, गर्मी और सर्दी से संरक्षित किया जा सकता है। दरअसल, आकाश चौरसिया जैविक खेती करते हैं। क्षेत्र में उनको किसान हित में अपने नवाचारों के लिए जाना जाता है। वह खेती को और अच्छा बनाने के लिए कुछ न कुछ नया करते ही रहते हैं।

फसलों का संरक्षण करने हेतु अनोखा स्ट्रक्चर

आकाश चौरसिया ने अपनी फसलों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने अपने खेत में एक स्ट्रक्चर तैयार किया है, जिसमें उन्होंने एक निर्धारित फासले और ऊंचाई पर अपने खेत पर बांस एवं घास का ढांचा तैयार किया है। सर्दी के मौसम में कोहरे की अधिकता बढ़ने से फसलों पर पाला लगने की आशंका भी काफी बढ़ जाती है। परंतु, अगर आप इस स्ट्रक्चर को अपने खेत में बनाते हैं, तो आपकी फसल हवा में लगभग 12 फीट ऊपर अटक जाती है। ऐसी स्थिति में यदि आंधी आती है, तो यह स्ट्रक्चर उसे हानि नहीं पहुंचाता है। इस स्ट्रक्चर पर ओलावृष्टि का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। क्योंकि, ओले घास में अटक जातें हैं। जो कि बाद में पिघलकर पानी के तौर पर फसल के लिए फायदेमंद होते हैं।

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स्ट्रक्चर तैयार करने में कितना खर्चा आया

आकाश चौरसिया का कहना है, कि इस स्ट्रक्चर को तैयार करने में न्यूनतम 50 हजार रुपये खर्च होते हैं। परंतु, एक बार तैयार होने के पश्चात यह स्ट्रक्चर 6 वर्ष तक चल सकता है। उसके बाद फिर मिट्टी में मिल जाता है। स्ट्रक्चर बनाने के स्थान पर, वहां दो प्रकार की फसलें उत्पादित की जा सकती हैं। एक, जमीन पर फसल की पैदावार की जा सकती है और दूसरा, इस स्ट्रक्चर पर विंटर की फसलें चढ़ा के पैदावार की जा सकती है। इस स्ट्रक्चर को अपने खेत में तैयार करने के उपरांत किसान एक एकड़ भूमि से डेढ़ लाख रुपये तक की आमदनी सुगमता से कर सकते हैं।

नि:शुल्क ट्रेनिंग देते हैं आकाश चौरसिया

आकाश चौरसिया इस स्ट्रक्चर को तैयार करने का नि:शुल्क प्रशिक्षण भी देते हैं, जिससे कि अन्य किसान भी इसका लाभ उठा सकें। वह बताते हैं, कि दूर-दूर से किसान उन तक इसको बनाने का प्रशिक्षण लेने आते हैं। आकाश चौरसिया सागर के संजय नगर के निवासी हैं, जहां उन्होंने एक ढाई एकड़ भूमि में इस स्ट्रक्चर को तैयार कर रखा है। उनके पास कपूरिया गांव में भी फार्म हाउस है, जहां वे बाकी कृषकों को भी इस स्ट्रक्चर का प्रशिक्षण देते हैं।